शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

मुझे पता है...


मुझे पता है
धूप को मुट्ठी में बंद करना
जानती हो तुम

चाँद सितारों के साथ
खेलना भी
आता है तुमको

परछाई के साथ
आँख मिचौली
खूब भाती है तुमको

कैसे ढूंढ लेती हो
घुप्प अंधरे में
उसे...

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                                          चिन्मय


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