मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

धीरे से साँस लो



वक्त का तकाज़ा है धीरे से साँस लो।
खूंरेज़ है दीवारें दरक न जाए।
जब तक है परदा तेरी सूरत पर मौला
उठाते ही कहीं सूरत न बदल जाए।

२४/०४/08

1 टिप्पणी:

gyaneshwaari singh ने कहा…

bhaut gahri soch likh di hai...acha hai